जेस्टेशनल डायबिटीज या जीडीएम (जेस्टेशनल डायबिटीज मेलिटस) एक ऐसी स्थिति है जो गर्भावस्था के दौरान विकसित होती है। यह उन महिलाओं में होता है जिनको पहले कभी डायबिटीज से जुड़ी कोई समस्या नहीं हुई है और इससे माँ और बच्चे दोनों को खतरा होता है। हालांकि, ज्यादातर मामलों में यह गर्भावस्था के बाद खत्म हो जाता है और टाइप 1 या टाइप 2 डायबिटीज की तरह खतरनाक नहीं होता है। एक अच्छी डाइट और जरूरत पड़ने पर मेडिकल सहायता के द्वारा जेस्टेशनल डायबिटीज से बचाव हो सकता है।
इससे पहले कि आप यह जानें कि प्रेगनेंसी के दौरान जेस्टेशनल डायबिटीज से कैसे बचा जाए, आपका यह जानना जरूरी है कि आखिर यह समस्या होती क्या है। गर्भावस्था के दौरान आपका शरीर ऐसे हार्मोन का उत्पादन करता है जो पोषक तत्वों से भरपूर फैट लेयर को जोड़ने में मदद करता है। इन परिवर्तनों के कारण शरीर इंसुलिन का उपयोग कम करता है, जिससे इंसुलिन रेसिस्टेंट कंडीशन बन जाती है। सरल शब्दों में कहें, तो जेस्टेशनल डायबिटीज आपके ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित करने के लिए इंसुलिन के उत्पादन और उपयोग के तरीके को प्रभावित करता है।
नीचे कुछ जरूरी स्टेप्स बताए गए हैं जिनका इस्तेमाल करके जेस्टेशनल डायबिटीज को रोका जा सकता है:
आपके डॉक्टर या पोषण विशेषज्ञ उन खाने की चीजों की एक लिस्ट देते हैं, जो ब्लड शुगर को कंट्रोल करने में आपकी सहायता करते हैं। आप उनसे यह भी पूछ सकती हैं कि खाने को किस समय पर खाना चाहिए और कितने हिस्से में खाना चाहिए ।
जेस्टेशनल डायबिटीज से बचने के अपने रिस्क फैक्टर्स को समझना पहला कदम माना जाता है। आपको जीडीएम कितना प्रभावित करता है उसके लिए अपने परिवार के इतिहास की सटीक जानकारी रखनी चाहिए। अपने परिवार के सदस्यों और करीबी रिश्तेदारों से बात करें और उनकी डायबिटीज की किसी भी तरह की हिस्ट्री के बारे में जानकारी प्राप्त करें। टाइप 1 डायबिटीज एक ऑटोइम्यून विकार है जबकि टाइप 2 डायबिटीज खाने की आदतों और जीवनशैली से जुड़ा है।
यदि आपके माता-पिता या भाई-बहन जैसे परिवार के किसी करीबी सदस्य को टाइप 2 डायबिटीज है, तो जेस्टेशनल डायबिटीज होने की संभावना बढ़ जाती है। यह जरूर पता लगाएं कि क्या यह आपके मामले में भी सच है और उसके अनुसार अपने डॉक्टर से बात करें, जो आपको इसे रोकने के लिए सही दवाइयों या तरीकों के बारे में बताएंगे। डॉक्टर को सूचित करें यदि आपने ग्लाइकोसुरिया (पेशाब में शक्कर) जैसे ब्लड शुगर टेस्ट करवाए हैं। अन्य जोखिमों में शामिल हैं:
यदि गर्भावस्था के दौरान आपका वजन बढ़ा हुआ है, तो अपने डॉक्टर से बात करें, ताकि वह इस दौरान किए जाने वाले व्यायामों के बारे में आपको बता सकें। यदि आपने अगले छह महीनों या एक साल के दौरान अपनी गर्भावस्था की योजना बनाई है, तो आप निम्नलिखित तरीकों से अपना वजन कम कर सकती हैं:
यदि आप गर्भावस्था के दौरान व्यायाम कर रही हैं तो सुरक्षित व्यायाम करें जो कम प्रभाव वाले हों जैसे तैरना और चलना। ऐसे किसी भी खेलों से दूर रहें जिनसे आपको चोट लग सकती है। व्यायाम करते समय आपको अपनी हृदय गति की निगरानी करनी चाहिए ताकि वह आपके बीएमआई के अनुसार दी गई गई दर से चल सके। व्यायाम को थोड़ी-थोड़ी देर रुक कर करना भी आपको उसी तरह लाभ देगा जैसे 30 मिनट तक लगातार करने पर मिलता है। लेकिन यह डॉक्टर तय करेंगे कि आपको अपने संपूर्ण स्वास्थ्य पर विचार करने के बाद कितनी बार व्यायाम करना चाहिए।
आप तनाव को जितना अपने से दूर रखेंगी उतना ही जेस्टेशनल डायबिटीज को कम करने में आपको मदद मिलेगी। यदि आपका मूड लाइट है और आप खुश हैं, तो आप कम तनाव में रहेंगी जो आपके और आपके बच्चे के लिए एक स्वस्थ संकेत है। तनाव के स्तर को कम करने के लिए निम्नलिखित चीजों को आजमाएं:
प्रेग्नेंट होने से पहले कुछ सरल लेकिन महत्वपूर्ण एहतियाती कदम उठाना जीडीएम को रोकने का एक प्रभावी तरीका है। कोशिश यही करें कि अपने डॉक्टर की सलाह से ही गर्भावस्था की योजना बनाएं। यह एक ऐसा तरीका है जो आपको प्रेगनेंसी के दौरान शारीरिक, भावनात्मक और मानसिक रूप से तैयार करता है।
ऐसा माना जाता है कि कभी कभी जेस्टेशनल डायबिटीज बच्चे के जन्म के बाद भी माँ को प्रभावित कर सकता है, इसलिए इससे जुड़े सभी जोखिमों को समझना महत्वपूर्ण है। यह जेस्टेशनल डायबिटीज को रोकने में मददगार साबित होता है क्योंकि बच्चे की योजना बनाने से पहले जोखिमों का पता चल जाता है।
डिलीवरी के बाद की योजना: आपको बता दें कि जिस तरह के जोखिम फैक्टर आपको जेस्टेशनल डायबिटीज जैसे खतरे में डालते हैं, उसी तरह के फैक्टर्स आपको भविष्य में भी टाइप 2 डायबिटीज का शिकार बना सकते हैं। यदि आपको गर्भावस्था के दौरान जेस्टेशनल डायबिटीज है तो टाइप 2 डायबिटीज होने की संभावना अधिक होती है। इसलिए गर्भावस्था के बाद भी आपको अपनी डाइट और व्यायाम से जुड़े सभी सुझावों का पालन करना जरूरी है। यदि डिलीवरी के बाद आपका वजन सही हो जाता है, तो डायबिटीज का खतरा भी कम हो जाता है। वजन कम करके आप बेहतर आकार में आ सकती हैं और अपने मातृत्व को अच्छे से एन्जॉय कर सकती हैं।
ऊपर बताए गए सुझावों से आपको जेस्टेशनल डायबिटीज को रोकने में मदद मिलेगी। यदि आपको गर्भावस्था के दौरान जेस्टेशनल डायबिटीज है, ऐसे में जब आपका बच्चा बड़ा होगा तो उसको अतिरिक्त वजन बढ़ने या टाइप 2 डायबिटीज का खतरा बढ़ जाएगा। इस जोखिम को कम करने के लिए बच्चे को जितना हो सके स्तनपान कराएं, थोड़ा बड़ा होने पर उसे नियमित एक्सरसाइज करने के लिए प्रोत्साहित करें और कम उम्र से ही स्वस्थ खाने की आदतों को अपनाने की आदत डलवाएं।
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