गर्भावस्था

गर्भावस्था के दौरान इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम (आईबीएस)

इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम पेट की एक पुरानी समस्या होती है जिसमें पेट में ऐंठन, सूजन, पेट फूलना और कब्ज या दस्त जैसे लक्षण होते हैं। इस समस्या की वजह से आपको पेट में तेज दर्द, बेचैनी और असुविधा हो सकती है। लेकिन अभी तक इसका सही कारण कोई नहीं जनता है और इस स्थिति का कोई परमानेंट इलाज नहीं है। हालांकि, अच्छी डाइट और लाइफस्टाइल में कुछ बदलाव लाने के साथ ही कुछ इलाज हैं, जो लक्षणों को कम करने में मदद करते हैं।

इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम क्या है?

इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम आंतों की बीमारी है। इसके मुख्य लक्षण पेट दर्द, दस्त और कब्ज हैं। यह किसी भी तरह से आपकी लाइफ के लिए खतरा नहीं होते हैं, पर इस समस्या से पीड़ित लोगों की रोजमर्रा की जिंदगी जरूर प्रभावित होती है। इसके लक्षण हल्के से लेकर गंभीर तक हो सकते हैं। जिन लोगों में हल्के लक्षण दिखते हैं उनको इलाज की जरूरत नहीं पड़ती है वहीं गंभीर लक्षणों वाले लोगों को इलाज और अपनी लाइफस्टाइल में बदलाव करना पड़ता है।

आईबीएस और गर्भावस्था के बीच संबंध

प्रेगनेंसी की शुरुआत में आईबीएस अपने साथ बहुत सारी गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्याएं जैसे मॉर्निंग सिकनेस, जलन, कब्ज या दस्त लाता है। ऐसे में आपको इस बात पर अधिक ध्यान देना होगा कि आप अच्छा और हेल्दी खाना खाती हैं। इस दौरान आईबीएस के लक्षण को कम करने के लिए आप एक कप अदरक की चाय पी सकती हैं। गर्भवती महिलाओं में आईबीएस और दस्त काफी आम हैं। हालांकि, इसके दो पहलू होते हैं। जिन महिलाओं को गर्भावस्था से पहले आईबीएस होता है, उन्हें प्रेगनेंसी के समय गंभीर लक्षण होने की संभावना अधिक होती है या फिर इससे राहत मिलती है।

गर्भावस्था में आईबीएस होने के कारण

आईबीएस जैसी गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्या गर्भवती महिलाओं में काफी सामान्य है। यह कई कारणों की वजह से हो सकता है जैसे –

  • गर्भावस्था के दौरान अधिक स्ट्रेस लेना
  • गर्भावस्था के समय हार्मोन से जुड़ी एंग्जायटी
  • हार्मोन का संतुलन बिगड़ना
  • गर्भाशय के अंदर बढ़ते बच्चे का दवाब पेट और आंतों पर पड़ना
  • ऐसी खाने की चीजें जिनसे गैस, पेट फूलना, सूजन आदि जैसी समस्या हो, जैसे डेयरी उत्पाद, मूंगफली, फूलगोभी, चुकंदर, ब्रोकोली आदि।
  • शराब या कैफीन युक्त उत्पाद जैसे चाय और कॉफी आदि का अधिक सेवन करना।
  • भारी, मसालेदार और ज्यादा तेल वाला खाना खाना
  • खाना न खाना
  • गर्भावस्था के दौरान आयरन की गोलियां लेने से भी कब्ज हो सकता है

गर्भवती महिलाओं में आईबीएस के लक्षण

गर्भवती महिलाओं में आईबीएस के लक्षण तिमाही के अनुसार होते हैं।

  • पहली तिमाही में गर्भवती महिलाओं में जलन, एसिडिटी और लूज मोशन जैसे लक्षण दिखाई देते हैं ।
  • कब्ज भी एक ऐसा लक्षण है जिससे गर्भवती महिलाएं पीड़ित हो सकती हैं, खासकर अपनी अंतिम तिमाही के दौरान।
  • कुछ महिलाओं को पेट में दर्द भी हो सकता है।
  • कुछ महिलाओं के मल में बलगम भी आ सकता है।
  • गर्भावस्था के दौरान सूजन, पेट फूलना और गैस, आईबीएस के कुछ अन्य लक्षण हैं।

गर्भावस्था के दौरान इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम का निदान कैसे किया जाता है?

गर्भावस्था में आईबीएस का निदान करने के लिए कोई विशेष टेस्ट नहीं हैं। आईबीएस पहचान के लिए डॉक्टर मरीजों के लक्षणों पर अधिक भरोसा करते हैं। हालांकि इसका पता लगाने के लिए कोई टेस्ट नहीं हैं, लेकिन कुछ टेस्ट ऐसे हैं जो ऐसे ही लक्षण वाले मेडिकल समस्या को पता लगाने में मदद कर सकते हैं।

डॉक्टर आपसे इन टेस्ट के लिए कह सकते हैं जैसे –

  • बड़ी आंत की अंदरूनी परत को देखने के लिए कोलोनोस्कोपी।
  • फेकल ओकुल्ट ब्लड की जांच से यह जानें कि मल में खून आ रहा है या नहीं।
  • कुछ ब्लड टेस्ट एनीमिया, टिश्यू डैमेज या सीलिएक डिजीज के लिए करवाते हैं।

इसके अलावा, महीने में तीन या अधिक दिनों के लिए गर्भावस्था से गैर सम्बंधित पेट दर्द के साथ दस्त और कब्ज गर्भावस्था के दौरान आईबीएस के मुख्य लक्षण है।

आईबीएस गर्भावस्था को कैसे प्रभावित करता है?

आईबीएस गर्भावस्था में रिस्क पैदा कर सकता है। यह केवल आपको प्रभावित करेगा। आईबीएस से लंबे समय तक दस्त हो सकते हैं जिसके कारण आपको डिहाइड्रेशन हो सकता है, जो कि समय से पहले डिलीवरी का कारण बनता है। दूसरी ओर गर्भावस्था के दौरान आईबीएस के कारण कब्ज की वजह से आपको रेक्टल ब्लीडिंग हो सकती है और यहां तक कि बवासीर भी हो सकता है। यह पेल्विक मांसपेशियों को भी प्रभावित करता है जो बच्चे के जन्म के दौरान महत्वपूर्ण होती हैं। आईबीएस से प्रभावित महिलाओं में मिसकैरेज होने का खतरा भी अधिक होता है।

हालांकि, यह बात साबित करने के लिए कुछ भी सबूत नहीं है कि आईबीएस गर्भ में पल रहे बच्चे को प्रभावित करता है या नुकसान पहुंचाता है। आईबीएस किसी महिला की फर्टिलिटी क्षमता या उसके गर्भवती होने की क्षमता को प्रभावित नहीं करता है।

गर्भावस्था से आईबीएस कैसे प्रभावित होता है?

गर्भावस्था के दौरान आईबीएस, प्रेगनेंसी हार्मोन की वजह से अधिक गंभीर हो सकता है। गर्भवती महिलाओं को पाचन से जुड़ी समस्याएं जैसे दस्त, मतली, कब्ज, सूजन, गैस, पेट में जलन या एसिडिटी आदि का अनुभव हो सकता है। आपके अंदर बढ़ रहे बच्चे की वजह से आपकी आंतों और पाचन तंत्र पर दवाब  पड़ता है जिससे मल त्याग में समस्या आती है।

गर्भ में पल रहे बच्चे को आईबीएस कैसे प्रभावित करता है?

ऐसा कहा जाता है कि आईबीएस के कारण प्रेगनेंसी में महिलाओं को दस्त के कारण डिहाइड्रेशन हो जाता है, जिसकी वजह से माँ और बच्चे दोनों को आवश्यक पोषक तत्व नहीं मिल पाते हैं। ऐसे में महिला की समय से पहले डिलीवरी हो सकती है जो कई बार बच्चे के लिए घातक साबित होता है। कुछ मामलों में, बच्चे को स्वास्थ्य संबंधी कॉम्प्लिकेशन भी हो जाते हैं। इन्ही सब कारणों की वजह से गर्भपात या अस्थानिक यानी एक्टोपिक गर्भावस्था की समस्या बढ़ जाती है।

क्या आप गर्भवती होने पर आईबीएस से बच सकती हैं?

आईबीएस को रोकना थोड़ा मुश्किल भरा काम है। हालांकि, आप उन खाने वाली चीजों से बचकर इसे रोक सकती हैं जो आईबीएस के लक्षणों को ट्रिगर करते हैं। संतुलित और स्वस्थ डाइट का पालन करना, ढेर सारा पानी पीना, व्यायाम करना और तनाव मुक्त रहना गर्भावस्था के दौरान आईबीएस को रोकने के कुछ बेहतरीन तरीके हैं।

हालांकि, यदि समस्या लंबे समय तक बनी रहती है या आपको गंभीर लक्षण हैं, तो डॉक्टर से सलाह जरूर लें। किसी भी तरह की दवा लेने से पहले भी आपको डॉक्टर से पूछना चाहिए।

गर्भावस्था के दौरान आईबीएस का इलाज करने के लिए प्रभावी उपचार

आईबीएस का कोई स्थाई इलाज नहीं है। लेकिन कुछ तरीके दिए गए हैं, जिनसे इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम के लक्षणों को कम किया जा सकता है।

  • हेल्दी और सही मात्रा में खाना खाएं।
  • नियमित अंतराल पर खाने को छोटे-छोटे हिस्सों में खाएं।
  • घर का बना खाना ही खाएं।
  • मसालेदार खाना खाने से बचें जिससे आपका पाचन खराब हो सकता है और आपके गैस्ट्रोइंटेस्टिनल मार्ग को नुकसान पहुंचा सकता है।
  • तला हुआ खाना खाने से बचें जो एसिड रिफ्लक्स को ट्रिगर करता है।
  • अपने रोजाना के आहार में फाइबर युक्त खाने और फलों को शामिल करें।
  • अपने आहार में प्रोबायोटिक्स शामिल करें
  • खूब पानी पिएं और फलों और सब्जियों का ताजा जूस पिएं।
  • आयरन की गोलियां लेने की बजाय आयरन युक्त आहार लें जिनसे कब्ज नहीं होगी ।
  • ऐसे खाने की चीजों और सब्जियों को खाने से बचें जिनसे गैस, सूजन और पेट फूलता है।
  • हाई फैट वाले डेयरी प्रोडक्ट्स को खाने से बचें।
  • शराब पीना और धूम्रपान करना छोड़ दें।
  • आप क्या खाती हैं, इसकी एक लिस्ट बनाकर रखें और खाए गए खाने से होने वाले लक्षणों, यदि कोई हों, उसके बारे में लिखें।
  • गर्भावस्था के समय मेडिटेशन करना सबसे अच्छा माना जाता है, साथ ही योग करें, पढ़ें, लंबी सैर पर जाएं, हंसें और तनाव मुक्त रहें।
  • नियमित रूप से व्यायाम करें।
  • आप ओवर-द-काउंटर दवाएं या एलोपैथी दवाएं लेने के बजाय घरेलू उपचार भी आजमा सकती हैं।

आईबीएस एक ऐसी स्थिति है जो जिंदगी भर रह सकती है, लेकिन इसे नियंत्रित करने के तरीके हैं। आईबीएस की वजह से आपको चिंता करने या उदास होने की जरूरत नहीं है। आपको यह याद रखना होगा कि गर्भावस्था के दौरान आईबीएस को संभालने वाली आप अकेली नहीं हैं। आप जैसे कई या कुछ ऐसे हैं जो गर्भावस्था के दौरान आईबीएस के गंभीर लक्षणों से जूझ रही होंगी। गर्भावस्था के दौरान आईबीएस को संभालना कठिन हो सकता है लेकिन सही नजरिया, अच्छी डाइट, लाइफस्टाइल में कुछ बदलाव और थोड़े से उपचार के साथ आप इसे नोटिस भी नहीं करेंगी।

यह भी पढ़ें:

गर्भावस्था के दौरान पेट में इन्फेक्शन (गैस्ट्रोएन्टराइटिस)
गर्भावस्था के दौरान साइटोमेगालोवायरस (सीएमवी) होना
गर्भावस्था के दौरान टॉर्च इन्फेक्शन होना – समस्याएं और आवश्यक जानकारियां

समर नक़वी

Recent Posts

भूकंप पर निबंध (Essay On Earthquake In Hindi)

भूकंप एक प्राकृतिक आपदा है, जिसमें धरती अचानक से हिलने लगती है। यह तब होता…

1 month ago

Raising Left-Handed Child in Right-Handed World – दाएं हाथ वाली दुनिया में बाएं हाथ वाला बच्चा बड़ा करना

जैसे-जैसे बच्चा बड़ा होने लगता है, उसके व्यक्तित्व के विभिन्न पहलू उभरने लगते हैं। या…

1 month ago

माता पिता पर कविता l Poems For Parents In Hindi

भगवान के अलावा हमारे जीवन में किसी दूसरे वयक्ति को अगर सबसे ऊंचा दर्जा मिला…

1 month ago

पत्नी के लिए प्यार से बुलाने वाले नाम l Nicknames For Wife In Hindi

शादी के बाद प्यार बनाए रखना किसी भी रिश्ते की सबसे खूबसूरत बात होती है।…

1 month ago

पति के लिए प्यार से बुलाने वाले नाम l Nicknames For Husband In Hindi

शादी के बाद रिश्तों में प्यार और अपनापन बनाए रखना बहुत जरूरी होता है। पति-पत्नी…

1 month ago

करण नाम का अर्थ, मतलब और राशिफल l Karan Name Meaning In Hindi

ऐसे कई माता-पिता होते हैं जो अपने बच्चे का नाम इतिहास के वीर महापुरुषों के…

1 month ago